अखिल भारतीय संतमत सत्संग का वार्षिक महाधिवेशन Annual General Conference of All India Santmat Satsang
अखिल भारतीय संतमत सत्संग का वार्षिक महाधिवेशन
प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज संत कबीर साहब के वाणी "दरशन कीजै साधु का, दिन में कइ कइ बार ।"|के आधार पर अपने सभी तरह के सत्संग कार्यक्रम का आयोजित करते हैं। इनमें वार्षिक कार्यक्रम को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है और बताया गया है कि जो वर्ष में एक बार भी संत-महात्माओं का दर्शन नहीं करते, अपने गुरु का दर्शन नहीं करते; उनको मोक्ष का लाभ नहीं मिल सकता है। अत: वर्ष में कम-से-कम एक बार इस कार्यक्रम में अवश्य भाग लेना चाहिए । आईये इस बार से अखिल भारतीय संतमत सत्संग महासभा का द्वारा आयोजित वार्षिक महाधिवेशन कार्यक्रम कहां हो रहा है इसकी जानकारी प्राप्त करें--
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अखिल भारतीय संतमत सत्संग का वार्षिक महाधिवेशन
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अखिल भारतीय संतमत सत्संग सम्मेलन 2026 ई.
संत कबीर वाणी "दरशन कीजै साधु का, दिन में कइ कइ बार। "
कबीर सोई दिन भला, जा दिन साधु मिलाय |अंक भरे भरि भेरिये, पाप शरीर जाय ||
वो दिन बहुत अच्छा है जिस दिन सन्त मिले | सन्तो से दिल खोलकर मिलो , मन के दोष दूर होंगे |
दरशन कीजै साधु का, दिन में कइ कइ बार |आसोजा का भेह ज्यों, बहुत करे उपकार ||
सन्तो के दरशन दिन में बार - बार करो | यह आश्विन महीने की वृष्टि के समान बहुत उपकारी है |
दोय बखत नहिं करि सके, दिन में करू इकबार | कबीर साधु दरश ते, उतरैं भव जल पार ||
सन्तो के दरशन दिन में दो बार ना कर सके तो एक बार ही कर ले | सन्तो के दरशन से जीव संसार - सागर से पार उतर जाता है |
दूजे दिन नहीं करि सके, तीजे दिन करू जाय | कबीर साधु दरश ते, मोक्ष मुक्ति फन पाय ||
सन्त दर्शन दूसरे दिन ना कर सके तो तीसरे दिन करे | सन्तो के दर्शन से जीव मोक्ष व मुक्तिरुपी महान फल पता है |
बार - बार नहिं करि सकै, पाख - पाख करि लेय | कहैं कबीर सों भक्त जन, जन्म सुफल करि लेय ||
यदि सन्तो के दर्शन साप्ताहिक न कर सके, तो पन्द्रह दिन में कर लिया करे | कबीर जी कहते है ऐसे भक्त भी अपना जन्म सफल बना सकते हैं |
मास - मास नहिं करि सकै, छठे मास अलबत | यामें ढ़ील न कीजिये, कहैं कबीर अविगत ||
यदि सन्तो के दर्शन महीने - महीने न कर सके, तो छठे महीने में अवश्य करे | अविनाशी वोधदाता गुरु कबीर कहते हैं कि इसमें शिथिलता मत करो |
बरस - बरस नहिं करि सकैं, ताको लगे दोष | कहैं कबीर वा जीव सों, कबहु न पावै मोष ||
यदि सन्तो के दर्शन बरस - बरस में भी न कर सके, तो उस भक्त को दोष लगता है | सन्त कबीर जी कहते हैं, ऐसा जीव इस तरह के आचरण से कभी मोक्ष नहीं पा सकता |
इन अटकाया न रुके, साधु दरश को जाय |कहैं कबीर सोई संतजन, मोक्ष मुक्ति फल पाय ||
किसी के रोडे डालने से न रुक कर, सन्त - दर्शन के लिए अवश्य जाना चहिये | सन्त कबीर जी कहते हैं, ऐसे ही सन्त भक्तजन मोक्ष फल को पा सकते हैं |
खाली साधु न बिदा करूँ, सुन लीजै सब कोय | कहैं कबीर कछु भेंट धरूँ, जो तेरे घर होय ||
सब कोई कान लगाकर सुन लो | सन्तों लो खाली हाथ मत विदा करो | कबीर जी कहते हैं, तम्हारे घर में जो देने योग्य हो, जरूर भेट करो |
सुनिये पार जो पाइया, छाजिन भोजन आनि | कहैं कबीर संतन को, देत न कीजै कानि ||
सुनिये ! यदि संसार - सागर से पार पाना चाहते हैं, भोजन - वस्त्र लाकर संतों को समर्पित करने में आगा - पीछा या अहंकार न करिये |
प्रभु प्रेमियों! आप सभी सत्संग प्रेमियों से विनम्र निवेदन है कि आप एकता का परिचय देते हुए अपने-अपने क्षेत्रों में होने वाले सभी प्रकार के सत्संग एवं ध्यान कार्यक्रमों (दैनिक, त्रिदिवसीय, साप्ताहिक, अर्द्धमासिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक, वार्षिक, अधिवेशन, विशेष सत्र, भव्य सत्संग ध्यान कार्यक्रम एवं अन्य प्रकार के कार्यक्रम) की जानकारी हमें अवश्य प्रदान करें।
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